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उववाइय सुत्तं सू० १७
ओर ) गतिशील थे। उत्तम जाति के अन्य कुधातुओं से अमिश्रित विशुद्ध स्वर्ण के समान वे उत्कृष्ट भाव से निर्दोष चारित्र्य के पालक थे। दर्पणपट्ट के समान वे अन्तर-बाहर में कपट-रहित शुद्ध-भाव युक्त थे। कछुए के समान वे अपनी इन्द्रियों को विषयों से खींच कर निवृत्ति भाव में स्थित थे। वे कमल-पत्र के समान निर्लेप थे, आकाश के समान निरपेक्ष थे अर्थात् वे आत्म-भाव में लीन थे। वायु के समान गृह-रहित थे, चन्द्र के समान सौम्य थे। सूर्य के समान तेजस्वी अर्थात् आत्मिक और दैहिक तेज से युक्त थे। वे समुद्र के समान गम्भीर थे, पक्षी के समान सर्वथा मुक्त थे अर्थात वे अनगार-परिवार, नियत वास आदि से पूर्णतः मुक्त थे। मेर पर्वत के समान अप्रकम्प-अनुकूल और प्रतिकूल परीषहों में अविचल थे। शरद ऋतु के समान शुद्ध हृदय वाले थे, गेंडे के सींग के समान एकजात राग-द्वेष आदि विभावों से रहित, अर्थात् एकमात्र आत्मनिष्ठ थे, भारण्ड पक्षी के समान अप्रमत्त-सर्वथा जागृत थे। हाथी के समान शक्तिशाली अर्थात् कषाय रूपी शत्रुओं को जीतने में समर्थ थे। वृषभ के सदृश धैर्यशील थे, सिंह के समान दुर्धर्ष कष्टों-परीषहों से अपराजेय थे, पृथ्वी के समान अनुकूल-प्रतिकूल शीत, उष्ण आदि सभी स्पर्शों को समभाव से सहन करने में समर्थ थे, घृत द्वारा भली भांति रूप से हवन की हुई अग्नि के समान ज्ञान तथा तप के तेज से जाज्वल्यमान-दीप्तिमान थे।
They were rid of affection like a small bell-metal vessel. They were spotless like a conch. Like a soul, they had unobstructed movement. They were pure in conduct like pure gold. They were clean in their inclinations like the surface of a mitror. They had their limbs hidden like those of a tortoise. They were free from contamination like a lotus leaf. They were without a support like the sky. They were without a home like free air. They caused no pain like the beams of the
moon. They were rich in (physical as well as spiritual). capacity like the sun. They were ocean in depth. They were whdly free like the birds. They were firmly rooted like Mount Meru. They were pure at heart like water in autumn. They were uniform (straight) like a rhino's horn. They were uninfatuated (ever alert) like a bhārunda bird.