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उववाइय सुत्तं सू० ३
supreme deity, as a giver of success in desired objects/ways, whose worship-never went in vain, which was endowed with supernatural powers, worthy to be worshipped in a thousand ways. Many people flocked to offer worship to the deity at the temple named Pūrṇabhadra. 2
वनखंड वर्णन
The Forest Strip
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से णं पुण्णभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते । से णं वणसंडे किण्हे किण्होभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिओभा से सीए सीओभासे णिद्धे गिद्धोभासे तिब्वे: तिव्वोभासे किण्हे किण्हच्छाए नीले नीलच्छाएं हरिए हरियच्छाए सीए सीयच्छाए णिद्धे णिच्छाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकडिअ - कडिच्छाए रम्भे महामेहणिकुरंबभूए ।
वह पूर्णभद्र चैत्य एक विशाल वनखण्ड से, सब ओर से - दिशा-विदिशा में चारों ओर से घिरा हुआ था । वह वनखण्ड काला, काली आभावाला, नीला, नीली आभावाला, हरा, हरी आभावाला, (लताओं, पौधों और वृक्षों की प्रचुरता के कारण ) वह ( वनखण्ड) स्पर्श में शीतल, शीतल आभावाला, स्निग्ध, स्निग्ध आभावाला, सुन्दर वर्ण आदि उत्कृष्ट गुणों से युक्त, तीव्र आभावाला था । वह वनखण्ड कालापन, काली छाया, नीलापन, नीली छाया, हरापन, हरी छाया, शीतलता, शीतल छाया, स्निग्धता, स्निग्ध छाया, तीव्रता और घनी छाया से युक्त था । वृक्षों की शाखाओं के परस्पर चढ़ाई के समान गुंथ जाने के कारण वह सघन ( गहरी ) छाया से युक्त था । उसका दृश्य, मानों बड़े-बड़े बादलों की घिरी हुई घटाओं के
समान रमणीय था ।
The said Pūrṇabhadra temple was surrounded in all direc-tions and sub-directions by a vast forest strip. The look of