Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ क्खरपमाणअरिहंतायरिउवज्झायपयस्स दुपयतिपयालावगदुगपंचक्खरनवक्खरजहक्कमनिप्फन्नसिद्धसाहुपयस्स सोल. सठ्ठनवक्खरनिप्फण्णुद्देसतिगसत्तियनवपयपरिच्छिन्नालावगतिगरूवतेत्तीसक्खरपरिमाणगचूलरस एसो उवहाणविही, तंजहा-पंचमंगलमहासुयक्खंधे पडिकमणासुयक्खंधे य नमस्कारत्रयपाठेन नन्दी कार्या । पञ्चमङ्गले पूर्वसेवायामुपवासः । ५ ततो क्रमागतपदपइसरावणियं अंबिल ८ उत्तरसेवायामुपवासः३ । एवमिरियावहियाएवि तपः कार्य, वाचनासामाचारीपूजाविधानपूर्वकं ईरियं पडिक्कमिय मुखवस्त्रिका प्रत्युपेक्ष्य वायणसंदिसावणं तस्या लियावणियं शक्रस्तवो भणनीयः, शिरसि अभिमन्त्रितवासनं, ततो नमस्कारत्रयपूर्व वाचना देया, एवं सक्कथुझ्याइसुवि नियरतवोविहाणपुव्वं वायणा देया, प्रतिदिनमव्यापारपौषधकरणं नवकारसहस्सगुणणं च, तत्र नमस्कारे उववासपंचगाणंतरं पंचण्हं पयाणं एगा वायणा, तओ अटण्हमंबिलाणमुववासतिगस्स य अंते अंतिमचलाए पयतिगस्स सोलटुनवक्खरपरिमाणस्स बीया वायणा २, पढममुवहाणं । एवं इरियावहियासुयक्खंधेऽवि अट्ठ अज्झयणाणि तिन्नि चरमा चूला भन्नइ, सेसंजहा नमोक्कारे, तत्थ । इच्छामि पडिक्कमिउं जावविराहणाए १ गमणागमणे २ पाणक्कमणे बीयक्कमणे हरियक्कमणे ३ ओसाउत्तिंग जाव संकमणे ४ जे मे जीवा विराहिया ५ पढमा वायणा १। एगिदिया जाव पंचिदिया ६। अभिया जाव तस्स मि Jain Education Interational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104