Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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उपाध्याय १३महचरा.
पास
वासे खिवइ, वडंतियाहिं थुईहिं चेइयाइं वंदइ, शान्तिनाथाचाराधनार्थ कायोत्सर्ग ४, आरिहणादिभणनं, तओ सामाचारी
महत्तरापयअणुजाणावणियं काउस्सग्गं करेहत्ति भणतो सत्तावीसुस्सासं काउसग्गं करेति, पारित्ता चउवीसत्थं भणित्ता ॥१९॥
उहडिओ सूरी नमोक्कारतिगं भाणत्ता 'नाणं पंचविहं पन्नत्तं, तंजहा-आभिणिबोहियनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मणपज्जवनाणं केवलनाणन्ति भाणय मंगलत्थं इमं पुण पट्टवणं पडुच्च इमीए साहुणीए महत्तरापयस्स अणुन्नानंदी पयट्टइत्ति सिरासि वासे खिवेइ, तओ उवविसिय गंधाभिमंतणं संघवासदाणं जिणचलणेसु गंधक्खेवो, तओ तुब्भे अम्हे मयहरापयं अणुजाणहात्त भाणए गुरू भणइ-अणुजाणामि, संदिसह किं भणामि ?, वंदित्ता पवेयय, तइए तुब्भेहि। महत्तरापयमणुन्नायं अणुन्नायं खमासमणाणं हत्थेणं, इच्छामि अणुसर्टिति, गुरू भणइ-नित्थारगपारगा होहि गुरु
गुणेहिं वडाहि, तुम्हाणं पवेइयं संदिसह साहूणं पवेएमि, खमासमणं देइ, तओ नमोकारमुच्चरती सगुरुं समवसरणं तपयक्खिणेइ वारतिगं३. तुम्हाणं पवेइयं साहणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करेमित्ति भणित्ता अणुन्नायमहत्तरा
पयथिरीकरणत्थं करोमि काउस्सग्गमिति काउस्सग्गो कीरइ, उज्जोयचिंतणपुव्वयं काउस्सग्गं पारित्ता चउवीसत्वयं भणित्ता गुरू वंदित्ता उवविसइ. तओ पत्ताए लग्गवेलाए खंधकरणी खंधे निवेसिज्जइ निसिज्जा य हत्थे दिज्जइ,
॥॥१९॥
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