Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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श्रीचन्द्रया सामाचारी ॥ ३८ ॥
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डिविसुद्धिसाहगं बाहगं विपक्खरस | चिइवंदणमिह वुतं तरसुत्रहाणं अओ जुत्तं ॥ २ ॥ लोएव अणेगभेयप्प| यत्थलभे निहाणमाइंमि । पुरिसा पवत्तमाणा उवहाणपरा पयति ॥ ३ ॥ किं पुग एगतिय सोक्खसाहगे सयलमंतमूलंमि | पंचनत्रकारमाई सुर्यमि भविया पयट्टंता ॥ ४ ॥ किञ्च - कप्पियपयत्थकप्पणपउणा वरकप्पपायवलयाचि । पाविज्जइ पाणीहिं न उणो चिइवदणुवहाणं ॥ ५ ॥ कह वा चिंतामणि कप्परुक्खवरकामधेणुपामोक्खा | चिंतियमेत्त पहाणा पउणा उवहाणउवमाणं ॥ ६ ॥ लाभमि जस्स नूगं दंसणमुद्धोवसेण निमितैणं । करतलगयत्र | जायइ सिद्धी धुवसिद्धिलाभस्स ॥ ७ ॥ तस्मात्-धन्ना सुणंति एवं सुगंति धन्ना कुणति धन्नयरा । जे सदति एयं तेऽविद्दु धन्ना विणिद्दिट्ठा || ८ || दारिद्दभरक्कंता पुन्नविउत्ता सुदीणतरसन्ना । पार्वति सुहनिहाणं एत्थ पहाणं किमु निहाणं ? ॥ ९ ॥ चउविहखणजोगेणं ता गुरुकम्मत्रखएण तुम्हेहिं । एवं निपुयं सुणियं सदहियमणुट्टियं | विहिणा || १० || सव्वत्थ सत्थपसवा गुणगणसंगहियसुमण सोहगिरी । दुक्करउवहाणेणं विज्जा इय सिज्झए माला ॥ ११ ॥ सावज्जकज्जवज्जणदुक्करणुट्ठाणतवविहाणेणं । नियसुमणस संभूया गुणमाला पयडिया एसा ॥ १२ ॥ माला | सग्गपवग्गम ग्गगमणे सोवाणविही समा, एसा भीमभवोद हिस्स तरणे निच्छिदपोओत्रमा । एसा कपियवत्थुयप्प
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चैत्यवन्दनोपधानम
हिमा २३
॥ ३८ ॥
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