Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 78
________________ २२ श्रीचन्द्रीयापमज्जेमि, तओ मुहपोतिं पडिलेहिया पाउंछणयं च, पढमखमासमणेणं अंगपडिलेहणं संदिसाविय बीयखमासम पौषधविधि: सामाचारी णं अंगपडिलेहणं करेमित्ति भणिय तओ अंगपडिलेहणं करेइ, तओ पोसहसालं पडिलेहेइ, जो पुण अभत्तट्ठी होइ सो सम्बोवहिं पडिलेहिय पच्छा चोलपढें पडिलेहेइ, तओ पोसहसालं पमज्जिय उद्धरिय कज्जयं ठवणायरियं । पडिलेहणापुव्वयं ठविय खमासमणं दाउं मुहपोत्तिं पेडिय सज्झायं करिय खमासमणदुगेणं उवहि थंडिले संदिसा विय वत्थकंबलाइ पडिलेहिऊण पुव्वण्हे व सज्झायाइ कुणमाणो अच्छइ तात्र जाव कालवेला, तओ उच्चारपासवPणथं चउवीसं थंडिले पडिलेहिय जइ तंमि दिणे चउदसी तो पक्खियं चउमासियं वा, अह न चउदसी तो देव सियं संवच्छरियं वा पडिक्कमिय साहुविस्सामणं कुणइ, तओ सज्झायं संदिसाविय ताव करेइ जाव पढमपोरिसी, तओ सरीरचिंतं काउं मुहपोत्तिं पडिलेहित्ता पढमखमासमणेण राईसंथारयं संदिसावेमि बीयखमासमणेण राईसंथारए ठामि भणिऊण सकत्थयं भणइ, तओ संथारयं सरीरं च पमज्जिय जाणुणोवरि संथारुत्तरपट्ट ठवित्तु भूमीए ठवित्ता अणुजाणह निसीही नमो खमासमणाणं इइ भणिय संथारए ठाइ. तओ तिन्नि वारे नमोकारं भाणय वारतिगं सामाइयं उच्चरिय तओ वामपासेण बाहुउवहाणो निहाविमोक्खं करेइ, जइ उव्यत्तइ तो पमजइ, - ॥३७ Vice Jain Education in For Private & Personal use only Biww.jainelibrary.org

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