Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 76
________________ श्रीचन्द्रीया सामाचारी ॥ ३६ ॥ Jain Education Int $9450970970 सामाइयं संदिसावेमि बीयक्खमासमणेणं सामाइए ठामि भणिऊण उद्धट्ठओ नमोक्कारं भणिय करेमि भंते ! सामाइयंति दंडयं भणिऊण तो जइ वरिसालो होइ तो खमासमणदुगेण कट्ठासणं संदिसाविज्जइ, सेस अट्ठमासेसु पाउंछणगंति, तओ सज्झायं संदिसाविय उवउत्तो सज्झायं करेइ, तओ जायाए पडिक्कमणवेलाए पाभाइयं पडिकमणं करेइ, तओ बहुवेलं संदिसाविय आयरियउवज्झायसव्यसाहू बंदइ, तओ जायाए पडिलेहणाए खमासमणदुगेणं | पडिलेहणं संदिसाचिय सकायं मुहपोति पडिलेहिय खमासमणदुगेणं अंगपडिलेहणं संदिसावेइ, तओ काउं च अंग| डिलेहणं ठवणायरियं पडिलेहेइ, पुणो मुहपोत्तियं पडिलेहित्ता खमासमणदुगेणं उवहिं संदिसाविय वत्थकंचलाइ पडिलेहेइ, तओ पोसहसालं पमज्जिय तओ खमासमणेणं सज्झायं संदिसाविय बीयखमासमगेणं सज्झायं करोमित्ति भणित्ता पच्छा पढइ गुणइ पोत्थयं वा वाएइ, साहुसमीचे वा सिद्धंतसवणं करेइ, तओ जायाए पउणपोरिसीए खमासमणदुगेण संदिसाविय पडिलेहणं तं करेमित्ति भणिय मुहपोत्तिं पडिलेहित्ता जं भडोवगरणं होइ तं पडि लेहेइ, तओ पुणोऽवि सज्झायं करेइ जाव कालवेला, तओ जइ देवा वंदियव्त्रा हुंति तो आवस्सियापुत्रयं चेइहरे गंतुं देवे वंदइ, तओ जइ पारणइत्तओ होइ तो पश्चक्खाणे पुण्णे खमासमणं दाउं मुहपोति पाडलेहित्ता तओ | For Private & Personal Use Only पोषधावधिः २२ ॥ ३३ ॥ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104