Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
णकए सक्कप्परुक्खोवमा, एसा दुग्गइदुग्गदारपिहणे गाढग्गला देहिणं ॥ १३ ॥ दंसणरयणविउत्ता पत्ता सत्ता वऽणंतखुत्तोऽवि । दव्वाणुट्ठाणं नो तस्स फलं परमपयठाणं ॥ १ ॥ तम्हा सुतिक्खपडिवक्खदुक्खलक्खोहखोह दक्खमि । | कय चोक्खमोक्खसोक्खे दंसणरयणे पयइयव्वं ॥ २ ॥ तरस य सिद्धी सुद्धी विद्धी चिइवंदणेण सुद्धणं । विहिणा क एण जायइ सोऽवि य उवहाणकरणंमि ॥ ३ ॥ ता उवहा ( णाहा ) णे गुणाण ठाणे य तिहुयण पहाणे । पयडियजिणवर आणे विहिणा भविया ! कुणह जत्तं ॥ ४ ॥ परमपयपुरीपत्थियपवयणपाहेयपाणिपहियरस | पत्थाणपढममंगलमाला | पयडा परमपसवा ॥ १ ॥ संतोसखग्गदारियमो हरिउत्तेण सद्धविजयरस | आणंदपुरपवेसे वंदणमाला जियनिवरस ॥२॥ | अहवा दुज्जोहमयमोहजोहविजयत्थमुज्जमपरस्त । जीवज्जोहरसेसा वणमाला इव सहइ माला ॥ ३ ॥ सम्मत्तनाण| दंसण चरित्तगुणकलियभव्व जीवरस । गुणरंजियाऍ एसा सिद्धिकुमारीऍ वरमाला ॥ ४ ॥ जह आगरेसु विद्धं रयणं ठाणं वरं लहइ तह य । तवतवणतत्रियपात्रो परमपयं पावए पाणी ॥ १ ॥ जह सूरसमारुहणे कमेण झिज्झंति | सयलछायाउ । तह सुहभावारुहणे जीवाणं कम्मपगडीओ ॥ २ ॥ दिणयरकरनियरहतो तिमिरभसे जह य दूर| मोसरइ । तह कम्माणवि बंधो विसुद्धसद्धाऍ सड्डाणं ॥ ३ ॥ जह पउणपवणपेल्लिय पत्रहणमुय हिस्स पारमइरेणं । पात्रइ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
S
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104