Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 62
________________ श्रीचन्द्रीया सामाचारी आस- श्रुतस्योद्दे शादिविधिः अंगअणुन्नाए दिणमेगं १, एवं बीयसुयक्खंधे दिणा २६, आयारंगे दिणा ५०-सत्थपरिन्ना लोगविजओ य सीओस|णिज्ज सम्मत्तं । आवंति धुय विमोहो उवहाणसयं च अट्ठमयं ॥१॥ पिंडेसण सेज्जिरिया भासज्जाया य वत्थ पाएसा। उग्गहपडिमा सत्तसत्तिक्कया भावण विमुत्ती ॥२॥ सत्त य छच्चउ चउरो छ पंच अटेव हुँति चउरो य । एक्कार दोन्नि तियया चउसं दो दो भवेक्कसग ॥३॥ उद्देसा एए. नंदी उण पंच ॥ आयरंगं सम्मत्तं ॥ बीयं सूयगडयं, नंदीए उदिसिय तस्स पढमं सुयखंधं गाहासोलसगाणि उदिसिय तस्स पढमज्झयणं समओ चउहिं उद्देसएहिं दोहि दिणेहिं जाइ २ बीए वेयालिए उद्देसा तिन्नि दिणा दो २ तइए उवसग्गपरिन्नाए उद्देसा चउरो दिणा दो २ चउत्थे इत्थिपरिन्नाए उद्देसा दो दिणमेगं १ पंचमे निरयविभत्तीए उद्देसा दो दिणमेगं १ छट्ठज्झयणं महावीरत्थओ, तयाइयाए एकारस अज्झयणा एक्कसरा एकेक्कदिणेण जंति, तेसिं नामाणि-समओ १ वेयालीयं २ उवसग्गपरिन्न ३ थपिरिन्ना ४ य । नरयविभत्ती ५ वीरत्थओ ६ कुसीलाण परिभासा ७ ॥१॥ वीरिय ८ धम्म ९ समाहि १० मग्ग ११ समोसरण १२ अहतह १३ गंथो १४ । जमईयं १५ तह गाहा १६ सोलसमं । होइ अज्झयणं ॥ २॥ सयुक्खंधसमुद्देस अणुन्नाए दिणमेगं, सव्वे वीसं दिणा २०, पढमसुयक्खंधो गओ॥ Jain Education Interational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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