Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 64
________________ श्रीचन्द्रीया सामाचारी ॥ ३० ॥ निसीहं सम्मत्तं ॥ दिणा १० निसीहे ॥ जीयकप्पो एगंमि चेत्र दिणे निव्त्रीएण उहिस्सइ समुद्दिस्सइ अणुन्नवइ य, पंचकम्पज्झयणेऽवि एगायंबिलेण उद्देसाइ कीरइ । कप्पववहारदसाणं एगो सुयखंधो, तत्थ सोलसुद्देसगोववेया दो अज्झयणा-कप्पो ववहारो य, तत्थ कप्पे छ उद्देसगा तिहिं दिवसेहिं बच्चेति, ववहारे दस उद्देसगा दिणे दिणे दो दो उद्दिस्संति, दिणा पंच, दसाणं पढमाइदसाभिहाणा दस अज्झयणा एगसरा दससु दिवसेसु समप्पंति, एगं दिणं सुयक्खंधसमुद्दे से बीयं अणुन्नाए दिणं, कप्पववहारदसासुयखंधो वीसहिं दिणेहिं वचइ २०, केइ कप्पववहाराणं भिन्नं सुयखंधामच्छंति, तत्थ दिणा २२, तथा च पञ्चकल्पे उक्तम्- " दस कप्पव्त्र वहारा एगसुयक्खंध केइ इच्छंति । केई य दसा एक्कं कप्पव्यवहार बीयं तु ॥ १ ॥ " ति । कप्पववहारदसा| सुखंधो सम्मत्तो ॥ नायधम्म कहंगे दो सुयखंधा-नायाई धम्मकहाओ य, तत्थ नायाणं एगूगवीसं अज्झयणाणि एगसराणि एगूणवीसाए दिणेहिं बच्चेति, एवं दिणं सुयखंधसमुद्देसाणुन्नाए, सन्धे वीसं दिणा २०, धम्मकहाणं दस बग्गा दससु चैव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति, तत्थ पढमदिवसे सुयखंधी उद्दिसिऊणं वग्गो उदिसइ, तत्थ पढमवग्गे दस अज्झयणा, तओ तरस वग्गरस आइल्ला उद्दिस्संति अंतिल्ला उद्दिस्संति, आइल्ला समुद्दिस्संति Jain Education International For Private & Personal Use Only श्रुतस्याद्दशादि विधिः १९. 11 20 11 www.jainelibrary.org

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