Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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उवगं वच्चइ, नवरं तओ पन्नत्तीओ कालियाओ संघटुं च कीरइ, सेसाण पंचण्हमंगाणं मयंतरेण निरावलियासुयखंधो उवंग, तत्थ पंच वग्गा निरयावलियाउ कप्पवडिंसियाउ पुफियाउ पुप्फचूलियाउ वहीदसाउ, नंदि कड़ित्तु निरयावलियासुयखधं उद्दिसिय पढमो वग्गो उदिस्सइ, तत्थ दस अज्झयणा, एवं बीय तइयच
उत्थवग्गेसुवि दस २ अज्झयणा, पंचमवग्गे बारस अज्झयणा, आइल्ला अंतिल्ला भणिऊण सधवग्गेसु नव २ काउमस्सग्गा कीरंति, पंचसु बग्गेसु पंच दिणा ५, दो सुयखंधे २, सन्चे सत्त दिणा ७ ॥ निरयावलियासुयखंधो ।
सम्मत्तो ॥ इयाणि पइन्नगा-नंदी अणुओगदाराइं देविंदत्थओ तंदुलवेयालियं चंदावेज्झयं आउरपञ्चक्खाणं गणिविजा एवमाइया, जोगाणं मज्झे निव्वीयादणे एक्कदिणेण उदिसंति समुद्दिसंति अणुन्नवंति य ॥ बाहिरजोगविही सम्मत्तो ॥ एत्थ य आवस्सयमाइयाणं बाहिरजोगाणं उक्कालियाणं मासो एगो १ दिण २१, उत्तरज्झयणाइकालि-16 याणं च बाहिरजोगाणं मास १० दिण २४, उभयमीलणे सव्वग्गं मास १२ दिण १५ । गणिजोगेसु य पंचममंगं * विवाहपन्नत्ती, तत्थ सुयक्खंधो नत्थि, तत्थ पुण सयाणि एक्कत्तालीसं छम्मास छहिं दिवसेहिं बच्चइ आउत्तवाण-- एणं, अंगं उदिसिऊणं पढ सयं उदिसिज्जइ, पढमसए दस उद्देसगा दो दो कालेण उदिसिज्जति, एगंतराऽऽया
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