Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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२०
३४॥
श्रीचन्द्रीया रदिवसेहिं चमरि अणुन्नाए । लग्गइ य छठ्ठजोगो पण निविया अंबिलं छठें ॥ ७ ॥ अउणावन्नदिणेहिं योगावधानं सामाचारी भी
अउणावन्ना सएहिं कालेहिं । अहमजोगो लग्गइ अट्ठमदियहे निरुद्धं च ॥ ८ ॥” संपइ सामायारीए । गोसाले अणुन्नाए अट्ठमिचउद्दसीसु अंबिलं कीरइत्ति ॥ महानिसीहे. अज्झयणं १ नव २ सोलस ३ सोलस ४ बारस ५ चउक्क ६ छ ७ व्वीसा ८ अट्ठज्झयणुदेसा तेसीइ महानिसीहस्स ॥१॥ महानिसीहसुयखंधं उद्दि सिऊण नंदिपुव्वं पढमज्झयणं उदिसिज्जइ समुहिस्सइ अणुन्नबइ, एवं बीयाइअज्झयणेसु अज्झयणुदेसणपुव्वं दो दो उद्देसा दिणे २ गच्छंति एवं जाव तेयासी, एगेण कालेण सुयक्खंधसमुहेसो, अन्नेग नंदिपुव्वं अणुन्ना, एवं आयंबिलपणयालीसाए आउत्तवाणएणं वच्चइ । जंबुद्दीवपन्नत्ती सूरपन्नत्ती चंदपन्नत्ती तिन्निवि कालियाउ तिहिं ३ कालेहिं तिहिं २ दिवसेहिं वच्चंति, सव्वे दिणा ९, एयासिं आयारंगचूलिया निसहिं च नंदि । |विणावि उद्देसाइ कीरइ. उवाइयरायपसेणइयजीवाभिगमपन्नवणाउ उक्कालियाउ तिहिं ३ आयंबिलेहिं वच्चंति, जोग-1 मझे निव्वीयदिणे आयंबिलेण अंबिलतिगपूरणाउ वच्चंतित्ति, अन्ने उ. रा. जी. पन्नवणा सू. जं. चं. नि. क. क. पु. पु. वह्रिदसनामा । आयाराइउवंगा नायव्वा आणुपुवीए ॥ १ ॥ इच्चेसा सुहबोहा सामायारी सम्मत्ता ।।
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