Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
श्रीचन्द्रीया सामाचारी
॥ २८ ॥
हिं सुयक्खंधो समप्पइ, अहवा जाव चोद्दस ताव एगसरराणि, सेसाणि एगदिवसेण दो दो उद्दिसिज्जंति, एवं | अट्ठावीसं दिणा || उत्तरज्झयणविही सम्मत्ता, आगाढा जोगा ||
इणि आयारंग उद्दिसिऊण पढमो बंभचेरसुयखंधो उद्दिस्सइ, तस्स पढमज्झयणं सत्यपरिन्ना सत्तहिं उद्देस एहिं तं उद्दिसिऊण तस्सेच पढमओ उद्देसओ उद्दिस्सइ, तओ बीओ उद्दिसइ, पुणो पढमोद्देसओ समुद्दिस्सइ बीओ य समुद्दिस्सइ, पच्छिमपोरिसीए अणुन्नवंति, एगेण दिणेण एगेण कालेण य दोऽवि वच्चंति, एवं तइयचउत्थगावि उद्देगा एगदिणेण एगकालेण य वच्चेति, एवं पंचमछट्टावि, सत्तमउद्देसओ एगदिणेण एगकालेण य अज्झयणेण समं अणुन्नवइ, सत्यपरिण्णाए दिणा चत्तारि, एवं जत्थऽज्झयणे समा उद्देसा तत्थ एगदिणेण एगकालेण य दोवि वच्चंति, विसमुद्देसएसु चरिमुद्देसओ अज्झयणेण सह एगदिगेण एगकालेण य बच्चइ, एवं सव्वंगसुयक्खंधज्झयणेसु दट्ठब्धं, बीयं लोगविजयज्झयणं छहिं उद्देसएहिं तिर्हि दिणेहिं वच्चइ ३, तइयं सीउसणिज्जं चउहिं उद्देसएहिं दोहिं दिणेहिं वच्चइ २, सम्मत्तं चउत्थज्झयणं चउहिं उद्देसएहिं दोहिं दिणेहिं २, पंचमं आवंतीअज्झयणं छहिं उद्देसएहिं तिहिं दिणेहिं वच्चइ ३, धुवमज्झयणं छटुं पंचहिं उस एहिं तिहिं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
श्रुतस्याद्दे
| शादि विधिः
१९
॥ २८ ॥
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104