Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
.२३॥
श्रीचन्द्रीया वायणं कालमंडलाइं सज्झायपडिक्कमणं कालपडिक्कमणं पाउंछणाइयं च संदिसावई, पवेयणे पवेइए असहस्स पढ- योगविधि सामाचारी
मादणे आयंबिलं निरुद्धंति वुच्चइ सहस्स अभचटुं, बीयदिणे पाडियपारणयं निव्वयिं भवति, उक्कालियवज्जं कालिएसु संघट्ट, केसुवि आउत्तवाणयं च संदिसाविति अठुस्सासं उस्सग्गं च करेंति, पुणो तंबा तउया सीसा कांसा । लोहर लादि हाड चाम रुधिर दांत वाल सुक्कीसान आहडावणियं करोमि काउस्सग्गमिति, अट्ठस्सासो काउस्सग्गो बीओ कीरइ, जोगसमत्तीए जया उत्तरंति तया सिरसि गंधक्खेवपुवयं ठवणायरियपुरओ खमासमणपुव्वं मुहY|पोत्तिं पडिलेहिय जोगनिक्खेवावणियं देवे वंदिय जोगनिक्खेवावणियकाउस्सग्गो कीरइ. पच्छा पोतिं पडिलेKाहिय वंदणयं दाउं पच्चक्खाणं काउं विगइलियावणियं अट्ठस्सासं उस्सगं करेंति, राइयपडिक्कमणं पइदिणं
जोगवाहिणो नवकारसहियं पच्चक्खंति पच्चक्खाणावसरे, कालादाणाऽणंतरं जाव छम्मासा ताव काला न उवहम्मंति, तत्तियाणि दिणाणि संघट्टाणि कीरति, तओ उपरि न सुझंति, कालं २ पइ दोन्नि सज्झाया दोन्नि कालमंडलाई कीरंति, कालमंडले पोत्तितिगपडिलेहणा, पढमे सज्झायपडिक्कमणत्थं अदृस्सासो उसग्गो कीरइ, बीए सज्झायरस ॥ २३ कालस्स य करिइ. चेत्तस्स आसोयरस य सुक्कपंचमीउ आरब्भ पडिवयंतेसु चेतहमिमहानवमिमहाअणोज्झायदिणेसु
Jan Education international
For Private & Personal use only

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104