Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ हणइ, विगतिसंसट्रं तिपरंपरं न उवहणइ, जोगवाहिसन्ना जोगवाहिअसज्झाइयं च न उवहणइ, पिंडवायाहिंडयएकमण्डलिकछिन्नपरोप्परसंघाडओ न उवहम्मइ, मयगभत्तं नो कप्पइ, सीवणाइयं वाणायरियाणणुन्नाए न कप्पइ । काउं, पक्कन्नवजं नवण्हं विगईणं अवयवंपि छिवंतो दितो लिंतो वा जइ हत्थे भत्तं पाणं वा उवहम्मइ, उल्ला सन्ना मणुयसाणमज्जाराणं आमिसासिपक्खीणं अतृणभक्षिणः तन्नयरस य छिक्का समाणी उवहणइ, उल्लं चम्म हडं| हयगयखराणं लद्दी संघट्टिया उवहणइ, तेलघयाईहिं अब्भंगिय इत्थी पुरिस नपुंसगं जइ अन्नं संघट्टेइ उवहम्मति, |तदिणनवणीयमोइयउल्लकज्जलअंजियनयणा व्हाया कुंकुमपिंजरियसरीरा य भत्ताइ देइ उवहम्मइ, तं दिणं जं कज्जलं लोणिएण मोइल्लयं तं उवहणइ न सेसेसु दिवससु, अन्नंपि अकप्पिएणं दव्वेण छिकं तं अन्नदिणे न उवहणइ, दीवओ उवहणइ, अगारीए कप्पट्टगं थणं पियंतं दीसइ तं मुयइ न पुण थणे पयं दीसइ तओ कप्पियं भवइ, एवं गोणमाईसुवि, जं च थिरं कटकवाडमाइयं अकप्पिएणं दवेणं छिक्कं तं न उवहणइ, जइ तं दव्वं न छिवइ, थिरकट्टकवाडाई जोगवाहिणा छिक्काई नोवहणंति, बालसुक्कचम्मट्ठिसुक्कसन्नाओऽवि न उवहणंति, तेसिं| अणुवघायट्ठा पवेयणासमए काउरसग्गो कीरइ, सन्निहिआहाकम्मसाणमज्जारकुकुडवायसमाणुसवसहमहिस-| Jain Education in For Private & Personal use only allvww.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104