Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ होह, तओ कालग्गाही आसज्ज ३ निसीही वार ३ नमो खमासमणाणंति भगंतो ठवणायरियसमीवं जाइ, वंदित्ता । इरियं पडिक्कमइ, नमोक्कारं चिंतेइ, पारित्ता नमोकारं मुहेण भणइ, वंदित्ता पोत्तिं पडिलेहिय बारसावत्तं वंदणं दाउं| पाभाइयकालं संदिसावेमि, पाभाइयं कालं गिण्हामि जाव सुद्धो, तओ आसज्ज ३ निसीहित्ति ३ पज्जते नमोखमासमणाणंति भणंतो कालमंडलभूमी जाइ, वच्चंतस्स छीयखलियजोइनिग्यायविज्जुक्कगज्जिमाइ जइ भवति । |तो उवहम्मइ, पुणो नियत्तिय संदिसावेइ, जाव नव वेला, तदुवरि न सुज्झइ, तदागमणे दंडधरो हत्थदंडियं पुरदिसीए ठवेइ, वंदिय इरियं पडिक्कमइ, नमोकारं चिंतिय भणिय संडासगे पडिलहिय उवविसित्तु पोत्तितिगपिहणेण अक्खलियाइविहिणा रओहरणेण तिन्नि वारा कालमंडलं पडिलेहेइ, ठवणायरियं दंडधरकरे नमोक्कारपुव्वं अप्पेइ, निसिही नमो खमासमणाणंति भणंतो तत्थ पविसेइ, चोलपढें पडिलेहेइ, तओ उद्घट्टिओ होऊण पुन्वाभिमुहो संतो भणइ-उवउत्ता होह पाभाइयकालरस लियावणियं करेमि काउस्सग्गं अन्नत्थूससिएणं इच्चाइ जाव अप्पाणं वोसि | रामि, अट्ठस्सासियं नमोक्कारं चिंतिय सणियं बाहाओ समाहट्ट मुहपोत्तियं मुहे दाउं सत्तावीसुस्सासचउवीसगदुमपुफिय ( सामण्ण ) पुव्वगमेक्वेकियादिसाए दसयालियतइयज्झयणसिलोगं च चिंतिय, एवं पुव्वाए चिंतित्तु दाहिणाए पच्छि Jain Education Inter For Private & Personal use only Www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104