Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 26
________________ श्रीचन्नीया विधि साधर्मिकान् भोजयित्वा स्वयं पारयतीति २७, तथा–“भद्दाईण चउण्हं कैकप आइ पंसतं"। मझं आई अंतं मज्झे सेसं च तप्परओ॥१॥” इति भद्रादिचतुष्टयविधिः तत्र भद्रे तपोदिनाः ७५ ॥ तपादित समाचारामा . .. . .. .. . ॥११॥ एक निवीयं पारणके एकभक्तं द्विती० |४/५/२२३ सणं मद्रतपः एकमक्ते महोत्तरतप एकनउत्कृष्टा आंबिल महामव्रतपः एकभक्तविधिना भक्तांवधिना विधिः ॥ | ____ सर्वतोभवतपः पारणक २५, निवियविधिना कर्त्तव्यं, महाभद्रे दिन १९६ पार०४९, भद्रोत्तरे दिन १७५ पार०२५ सर्वतोभद्रे दिन ३९२ पार.४९, एते सर्वकामगुणितलेपकृतालेपकृतनिर्विकृतिकआयामाम्लकृतपारणकभेदतः प्रत्येकं चतुर्विधा । भवन्ति ३१, आचाम्लवईमानं नाम यत्रालवणारनालौदनभक्षणमात्ररूपाणि आचाम्लानि वर्डमानानि क्रियन्ते, तस्य ।। Jain Education in l al For Private & Personal use only Sliw.jainelibrary.org

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