Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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नाया ९
श्रीचन्द्रीया चउव्वीसत्थयभणनम् , उपविश्य शकस्तवपाठः तओ गुरुं तिपयक्खिऊण वन्दइ. साहू य जहारिहं निसन्नस्स तस्स उपस्था, सामाचारी आयरियउवज्झायरूवो दुविहो दिसिबंधो कीरइ, साहुणीए एयं दुगं तईओ पवित्तिणी दिसिबंधो कीरइ, यथा कोटि
लाचस्यचे
विधिः १० कादिको गणः, वेराइया साहा, चन्द्रादिकं कुलं, स्वकीया गुरव उपाध्यायाश्च, साध्व्या अमुकी प्रवर्तिनी चेति, जहा-6
सत्तीए आयामनिर्विकृतिकादि तपः कार्यते, उठ्ठाविओ चेव संतो सत्त मंडलिआयंबिलाणि अवस्सं मंडलिपवेसणत्थं अकाराविज्जइ, सुत्ते १ अत्थे २ भोयण ३ काले ४ आवम्लए य ५ सझाए ६। संथारएऽवि य ७ तहा सत्तेया मंडली हुंति ॥१॥” उपस्थापनाविधिः ।
अथ लोयविधिः-मूरिसमीवे गतुं वंदित्ता लोयं कारिउं सीसगो मुहपुत्तियं पडिलिहिय वंदित्ता भणइ-लोयं संदिसावमि, लोयं कीरावपिन्ति. तओ गुरुणाऽणुन्नाओ लोयं कारवेइ, कए लोएऽवि तओ वंदित्ता सूरिस्संतिए मुहपोत्तियं पडिलिहित्ता बंदित्ता भणइ-लोयं पवेएमि, संदिसह किं भणामो? २, तईए वंदित्ता भणइ-केसा मे पज्जासिया, इच्छामि अणुसहूिं, सूरी भणइ-दुक्करं कयं इंगिणी साहियात्ति, तओ वंदित्ता भणइ-तुम्हाणं पवइयं संदिसह साहूणं ।' पवेएमित्ति पूर्ववत जाव संदिसह काउसग्गं करेमि, तओ केमेसु पज्जामिज्जमाणेसु मम्मं जं न अहियासियं कुइयं
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