Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 37
________________ चिंताक्षाभिमन्त्रणे कृते गुरू निसेज्जाओ उद्वित्ता निसेजं पुरओ काउं अहीयसुयं सीसं वामपासे ठवित्ता तुम्भे अम्हं दव्वगुणपज्जवेहिं अणुओगअणुजाणावणियं नंदिकड्डावणियं वासनिक्खे करेहत्ति भणावितो सीसस्स सिरसि । वासे खिवइ, वउंतियाहिं थुईहिं चेइए वंदइ, कायोत्सर्गः ४ । तओ पोत्तिं पडिलेहित्ता सीसो बारसावत्तं बंदणं देइ.IN/ तओ अप्पणो गुरुणाऽणुओगअणुजाणावणियं काउस्सग्गं कारेहत्ति भणइ, तओ दुवेऽवि अणुओगपट्ठावणनिमित्तं । काउस्सग्गं सत्तावीसुस्सासं करेंति, पारित्ता चउवीसत्थयं भणित्ता उद्घट्टिओ सूरी नमोकारतिगं भणित्ता सत्तसइयं । नंदि अणुकड़ेइ सयमेव अन्नो वा सोसो, पुश उढिओ मुहपोत्तियाए ठइयमुहकमलो एगग्गचित्तो नंदि सुणेइ, नंदिसमत्तीए गंधाभिमंतणं संघवासदाणं जिणचलणेसु गंधोक्खेवा, तओ तुब्भे अणुओगं अणुजाणहात्ते सीसेण भणिए गुरू भणइ-अहं एयस्स दव्वगुणपज्जवेहिं खमासमणाणं हत्थेणं अणुओगं अणुजाणामि, संदिसह किं भणामि ? वंदित्ता पवेयह, तइए तुब्भेहिं अम्हं अणुओगोऽणुन्नाओ, इच्छामि अणुसटुिंति सीसेण भाणए गुरू भणइ-सम्मं अव धारय अन्नेसिपि पवेययेत्यादि प्राग्वत् , नमोक्कारमुच्चरंतो सगुरुं समवसरणं पयक्खिणेइ वार ३, अणुओगाणुजाणानवणियं काउरसग्गो कीरइ, उस्सग्गरसंते वंदित्ता सीसो गुरुसमप्पियनिसिज्जहत्थो गुरुं पयक्खिणीकरइ वंदइ, एवं । Jain Education Interational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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