Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 35
________________ K ककराइयं तस्स ओहडावणियं करेमि काउस्सग्गं अन्नत्थ ऊससिएणं इच्चाइ भणिचा काउरसग्गे लोगस्सुज्जोयगर पणवीससासं चिंतित्ता पारित्ता चउवीसत्थयं भाणित्ता जहारायणियाए साहू वंदइ, अंते नमोकारं चिंतति भणइ य॥ इति लोयविही १०॥ १ साहुसावयाणं राइपडिकमणविही जहा-“इरिया कुसुमिणुस्सग्गो जिणमुणिवंदण तहेव सज्झाओ। *सबस्सवि सक्कत्थ उ तिन्नि उ उस्सग्ग कायव्वा ॥ १॥ चरणे दंसणनाणे दुसु लोगुजोय तइय अइयारा । पात्ती वंदण आलोय सुत्त तह बंद खामणयं ॥२॥ वंदण तव उवसग्गो पोत्ती वंदणय पञ्चखाणं तु । अणसट्रिं तिन्नि थुई बंदण बहुवेलपडिलेहा ॥ ३ ॥” इति रात्रिकम् ॥ जिणमुणिवंदण अइयारुस्सग्गो पुत्ति वंदणाऽऽलोए । सुतं । dवंदण खामण बंदण तिन्नेव उस्सग्गा ॥१॥ चरणे दंसणनाणे उज्जोया दुन्नि एक एक्को य । सुयदेवयादुसग्गा पोती बंदण तिथुइथोत्तं ॥२॥” इति देवसिकविधिः ॥ मुहपोत्ती वंदणयं संबुहाखामणं नहाऽऽलोए । बंदण पत्तयं खाम. णाणि वंदणय सुत्तं च ॥३॥ सुत्तं अब्भुद्राणं उस्सग्गो पोत्ति वंदणं तह य । पज्जंते खावणयं पियं च इच्चाइ तह जाण ॥४॥इति पाक्षिकादिविधिः॥ दुगचउबारसवीसं चालीसुज्जोय उवरि नवकारो। पंचस पडिकमणेसं उस्स Jain Education in al For Private & Personal use only www.jalnelibrary.org

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