Book Title: Subodh Samachari
Author(s): Macchindracharya
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ ॥१४॥ श्रीचन्द्रीया । दसियाओ करितो वेसं समप्पेइ, सीसो इच्छंति भणइ, ईसाणदिसी पुव्वाभिमुहो उत्तराभिमुहो वामभागे गंतूण आभ- प्रवज्यासामाचारी विधिः८ रणाइं अलंकारं मुयइ, वेसं परिहेइ, पुणोऽवि सूरिसमीवमागम्म वंदित्ता भणइ-मुंडावेह तहा सव्वविरइसामाइयं मम आरोवेह, तओ सव्वविरइसामाइयारोवणथं काउस्सग्गो सत्तावीसुरसासो करिइ, पारिता चउवीसत्थयभणनं, तओ पत्ताए लग्गवेलाए अभितरपविसमाणसासं नमोक्कारतिगमुच्चरित्तु सूरी उठ्ठिओ तस्स तिन्नि अट्ठाओ अक्खलियाओ गिण्हइ, गिण्हित्ता नवकारतिगपुव्वं सामाइयं तिन्नि वारे भणइ, सेहोऽवि उद्घट्टिओ चेव भावियप्पा अप्पाणं कयत्थं मन्नमाणो अणुकड्ढेइ, वासअक्षताभिमन्त्रणं, लोगोत्तमपाएसु वासक्खेवो, साध्वादिभ्यस्तहानं, नवकारमुच्चरंतो पयक्खिणं देइ, एवं वारत्रयं ३, सर्वविरतिसामायिकारोपणाभिलापः, तईयवंदणए तुब्भेहिं मम सामाइयमारोवियमिच्छामो अणुसहिन्ति सीसेण अद्धोवणयगत्तेण भणिए सूरी सेहस्स उत्तिमंगे वासे देइ, दितो भणइ-नित्थारग-01 पारगो होहि, गुरुगुणेहिं वड़ाहि, शेषं प्राग्वत्, कायोत्सर्गः, चउवीसत्थयचिंतणं शकस्तवपाठः, निषद्योपविष्टं त्रिः प्रदक्षिणीकृत्य गुरुं वन्दते, नामकरणं साधून वन्दते, श्राद्धश्राद्धीजनस्तं वन्दते. सरिदेशनां तस्य कुरुते 'चचारि परमंगाणि' इत्यादिकां 'भूएसु जंगमत्तं इत्यादिकां च, आयंबिलेण नियमो। अत्र सङ्ग्रहः- चविंदणवेसप्पण सम-10 Jain Education intamational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104