Book Title: Stree Nirvan Kevalibhukti Prakarane Tika
Author(s): Shaktayanacharya, Jambuvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 42
________________ स्त्रीनिर्वाणप्रकरणम् । मनुजगतौ सन्ति गुणाश्चतुर्दशेत्याद्यपि प्रमाणं स्यात् । पुंवत् स्त्रीणां सिद्धौ 'नापर्याप्तादिवद् बाधा ॥५३॥ न च बाधकं विमुक्तेः स्त्रीणामनुशासनं प्रवचनं च । सम्भवति च मुख्येऽर्थे न गौण इत्यायिकासिद्धिः ॥५४॥ ॥ इति स्त्रीनिर्वाणप्रकरणं समाप्तम् ॥ १. नापर्याप्त्यादि. A. S. ॥ २. इति स्त्रीनिर्वाणपरिच्छेदः समाप्त: A.S. ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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