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जिनपूजा – एक क्रमिक एवं वैज्ञानिक अनुष्ठान स्थान ...85
मिश्री के स्थान पर पैसा नहीं चढ़ाना चाहिए ।
फल पूजा करने की विधि
• साधना के श्रेष्ठ फल रूप सिद्धशिला पर उत्तम Quality के फल चढ़ाने का विधान शास्त्रकारों ने किया है। कुछ आचार्य स्वस्तिक पर फल चढ़ाने का निर्देश करते हैं परन्तु वर्तमान प्रचलित परम्परा में यह विधि देखी नहीं जाती।
• फल पूजा हेतु श्रीफल को सर्वोत्तम फल माना गया है। अन्य फल जो श्रावक के लिए खाने योग्य माने गए हैं, वे सभी चढ़ा सकते हैं। यदि फल न हो तो उसके स्थान पर बादाम चढ़ाने का प्रचलन है । अन्य सूखा मेवा या लौंग आदि भी चढ़ा सकते हैं।
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बहुबीज फल, तुच्छ फल या अनजान फल परमात्मा के आगे नहीं चढ़ाना चाहिए।
• फल के स्थान पर पैसा आदि भी नहीं चढ़ाना चाहिए ।
• द्रव्य और भाव दोनों पूजा करने के बाद फल या नैवेद्य को योग्य स्थान पर रखकर पट्टा खाली कर देना चाहिए ।
खमासमण देने की विधि
• खमासमण देने हेतु सर्वप्रथम खेस के द्वारा भूमि का प्रमार्जन करना चाहिए।
• फिर ‘वंदिउं’ तक खमासमण सूत्र अंजलिबद्ध मुद्रा में खड़े-खड़े ही बोलें। ‘जावणिज्जाए निसीहिआए' बोलते समय आधा झुक जाए और खेस या रूमाल के द्वारा हाथ, पैर और मस्तक की प्रतिलेखना करें। उसके बाद 'मत्थएण वंदामि' बोलते हुए मस्तक, दोनों घुटने और अंजलिबद्ध दोनों हाथों को जमीन से स्पर्श करवाते हुए पंचांग प्रणिपात करें। इस तरह शरीर के पाँचों अंगों को झुकाना खमासमण कहलाता है।
• दूसरा खमासमण देने के लिए वापस खड़ा होना चाहिए।
• शारीरिक समस्या के अतिरिक्त किसी भी अन्य कारण से अविधिपूर्वक खमासमण नहीं देना चाहिए।
• हाथ टिकाकर, बैठे-बैठे या आधे खड़े होकर खमासमण देना अविधि है।