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354... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म...
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि स्वप्न बोली की परम्परा परवर्तीकालीन है। यह देवद्रव्य में जाए या साधारण द्रव्य में इसकी कोई आगमिक मान्यता नहीं है अतः समस्त संघों की सुविधा, व्यवस्था एवं आवश्यकतानुसार इस विषय में गुरुभगवंतो को निर्णय लेना चाहिए। मेरा मानना है कि साधारण द्रव्य में रखने से देवद्रव्य में आवश्यकता होने पर इसका उपयोग वहाँ हो सकता है किन्तु देवद्रव्य की राशि अन्य क्षेत्र में इस्तेमाल नहीं की जा सकती। यदि संघ में प्रत्येक द्रव्य यथोचित मात्रा में हो तो इसे देवद्रव्य में रखा जाए अन्यथा आवश्यकता अनुसार साधारण द्रव्य में रखने के बाद उसे विभाजित किया जाना चाहिए।
शंका- सर्व साधारण (शुभ) खाते में कौन से द्रव्य का समावेश होता है और इसका उपयोग कहाँ हो सकता है?
समाधान- धार्मिक या धर्मादा (Religious or Charitable) किसी भी शुभ कार्य हेतु जो चंदा इकट्ठा किया जाता है वह द्रव्य सर्व साधारण खाते या शुभ खाते में जमा होता है।
चातुर्मास दौरान होने वाले समस्त खर्च, वार्षिक व्यवस्था एवं खर्च राशि कुदरती प्रकोप, राष्ट्रीय एवं सामाजिक आपदा आदि के प्रसंग पर चैरिटी के रूप में इसका प्रयोग हो सकता है। यह द्रव्य सातों क्षेत्रों में प्रयुक्त किया जा सकता है। दान-दाताओं ने जिस आशय से या जिस क्षेत्र में प्रयोग करने हेतु धन दिया हो उसका उसी क्षेत्र में प्रयोग करना चाहिए। साफा चुंदड़ी (फले चुंदडी) के चढ़ावे की आय भी सर्व साधारण क्षेत्र में प्रयुक्त कर सकते हैं।
शंका- साधु-साध्वी रात्रि में होने वाले चढ़ावों में जा सकते हैं?
समाधान- प्रतिष्ठा आदि में होने वाले चढ़ावों में तो देवद्रव्य वृद्धि की अपेक्षा से साधु-साध्वी उपस्थित रहते हैं, परंतु यह चढ़ावे रात्रिकाल में भक्ति आदि के दौरान बोले जाए तो मर्यादानुार साधु-साध्वी को उनमें उपस्थित नहीं रहना चाहिए। परिस्थिति विशेष या उपस्थिति अत्यावश्यक हो तो गुरु आज्ञानुसार वर्तन किया जा सकता है। वैसे सामान्यतया रात्रि के समय साधुसाध्वी चढ़ावों में नहीं जा सकते।
शंका- श्रावकों की तरफ से साधु-साध्वी चढ़ावा बोल सकते हैं? समाधान- साधु जीवन की अपनी कुछ मर्यादाएँ हैं। साधु-साध्वी को संघ