Book Title: Puja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 449
________________ श्रुत सागर से निकले समाधान के मोती ...383 जैसे कि दवाई तब तक ही ली जाती है जब तक रोग का निवारण न हो। रोग समाप्त हो जाए तो दवाई की क्या आवश्यकता? बच्चों को स्कूल ज्ञानार्जन के लिए भेजते हैं पर स्कूल भेजने से पूर्व यदि यह कहे कि ज्ञान तो है नहीं फिर स्कूल जाने से क्या फायदा तो कभी ज्ञान प्राप्त हो भी नहीं सकता। वैसे ही पूजा, सामायिक आदि क्रियाओं के द्वारा ही मन को स्थिर किया जा सकता है अत: यह क्रियाएँ आवश्यक है। शंका- मंदिर में भीड़ अधिक हो और मूलनायक परमात्मा के दर्शन भी अच्छे से न होते हो तो फिर वहाँ चैत्यवंदन आदि करना चाहिए या नहीं? समाधान- जैनाचार्यों ने गृह मन्दिर का जो विधान बनाया है उसका एक कारण यही है कि व्यक्ति स्वेच्छा से मन मुताबिक परमात्म भक्ति कर सकें। परंतु वर्तमान में तो गृह मंदिरों का ही प्राय: लोप हो चुका है। अत: व्यक्ति मन को संतुष्ट कैसे करें? उपरोक्त परिस्थिति में मूलनायक प्रतिमाजी के समक्ष क्रिया करने का आग्रह छोड़कर यदि आज-बाजू में अन्य जिनबिम्ब हों तो वहाँ पर चैत्यवंदन आदि करना चाहिए। यद्यपि मूलनायक की अपनी महत्ता होती है परंतु अन्य अरिहंत बिंब का आलम्बन लेने में भी कोई दोष नहीं है। यदि ऐसा करना संभव न हो या अन्य स्थान पर जिनबिम्ब न हों तो अपनी पूजा का समय बदल देना चाहिए अथवा मन को और अधिक एकाग्र बनाकर परमात्मा के स्वरूप को अपने मन-मस्तिष्क में स्थापित कर देना चाहिए। तब चैत्यवंदन आदि करते समय स्वयमेव ही परमात्मा की छवि हमारे समक्ष उभर जाती है।। शंका- धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनकर परमात्मा की पूजा कर सकते हैं ? समाधान- पूजा के वस्त्र अलग रखने चाहिए। उनमें खाने-पीने आदि की क्रिया नहीं कर सकते और यदि की जाए तो उन वस्त्रों में पूजा नहीं करनी चाहिए ऐसा वृद्ध परम्परा से सुना जाता है। जिनपूजा अर्थात साक्षात परमात्मा को स्पर्श करने की क्रिया और परमात्मा को स्पर्श ऐसे-वैसे या नित्य प्रयोग के वस्त्रों में कैसे कर सकते हैं? दुसरा तथ्य यह है कि वस्त्रों आदि का हमारे मन पर भी एक अलग प्रभाव पड़ता है। स्कूल जाते हुए स्कूल Uniform, ऑफिस जाते समय ऑफिस का Dress या पुलिस आदि की Dress क्यों रखी जाती है? इसका कारण यही होता है कि वह पहनने के बाद हमारा मन उन क्रियाओं के लिए सहज एवं तीव्र

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