Book Title: Puja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 418
________________ 352... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... श्री संघ के मुनीम, फलेचुंदडी, नवकारसी आदि के चढ़ावों का समावेश होता है। सम्यक्त्वी देवी-देवताओं से सम्बन्धित समस्त चढ़ावे की राशि भी साधारण खाते में ही जाती है। ___ कुछ आचार्यों के अनुसार स्वप्न दर्शन से सम्बन्धित राशि, उपधान माला, तीर्थ माला आदि की राशि का उपयोग साधारण द्रव्य के रूप में किया जा सकता है तथा कुछ आचार्यों के अनुसार इनका समावेश देवद्रव्य में होता है। शंका- देवी-देवता तो देव रूप हैं फिर उनके निमित्त एकत्रित द्रव्य साधारण खाते में क्यों गिना जाता है? समाधान- जैन धर्म में सम्यक्त्वी देवी-देवताओं को साधर्मिक की उपमा दी गई है एवं उनका बहमान भी साधर्मिक के रूप में ही होता है। इसी कारण देवी-देवताओं से सम्बन्धित राशि को साधारण द्रव्य माना गया है। __ शंका- स्वप्न दर्शन से सम्बन्धित चढ़ावे की राशि साधारण द्रव्य में जानी चाहिए या देवद्रव्य में? समाधान- स्वप्नों की राशि के विषय में दो मत प्रचलित है। कई आचार्य इसे देवद्रव्य मानने का समर्थन करते हैं तो कई आचार्य इस द्रव्य को साधारण द्रव्य में शामिल करने के पक्षधर हैं। सपनों की बोली यह कोई शास्त्रीय या प्राचीन परम्परा नहीं है। लगभग दो सौ या तीन सौ वर्ष पूर्व यह परम्परा प्रारंभ हुई अत: इस विषय में कोई आगमोक्त या शास्त्रीय नियम नहीं है। स्वप्न दर्शन की परम्परा पन्यास सत्यविजयजी महाराज ने समाज की परिस्थितियों को देखते हुए राधनपुर में प्रारंभ करवाई और उस रकम को सातों क्षेत्रों में आवश्यकता अनुसार उपयोग करने का प्रस्ताव भी रखा था। तब से आज तक यह परम्परा चल रही है। इस अपेक्षा से यह राशि साधारण द्रव्य में जानी चाहिए। साधारण द्रव्य में सम्मिलित करने हेतु जो अन्य तर्क दिए जाते हैं वे इस प्रकार है____ 1990 में हुए एक सम्मेलन के अनुसार प्रभु के मंदिर में या मंदिर के बाहर प्रभु के निमित्त जो चढ़ावें बोले जाते हैं वे देवद्रव्य में सम्मिलित होते हैं। किन्तु “प्रभु' शब्द की स्पष्ट व्याख्या न होने से कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही है। यदि च्यवन कल्याणक से प्रभु मानते हैं तब यह राशि देवद्रव्य में जाती है। यदि केवलज्ञान कल्याणक के बाद प्रभु रूप माने तो यह द्रव्य साधारण खाते में जा

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