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अष्ट प्रकारी पूजा का बहुपक्षीय अनुशीलन ... 115
चंदन घिसने हेतु अलग से चंदन घर बनवाना चाहिए अथवा अलग से किसी कोने में व्यवस्था करनी चाहिए | चंदन घिसने का स्थान हवादार हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि चंदन घिसते समय पसीना आदि गिरने से उसके अशुद्ध होने की संभावना न रहे।
वर्तमान में अधिकांश मन्दिरों में घिसा हुआ चंदन तैयार रखा जाता है। किन्तु जहाँ तक संभव हो श्रावकों को स्वयं ही यह क्रिया करनी चाहिए।
कई लोग प्रश्न करते हैं कि आज की व्यस्त जीवन शैली में यदि पुजारी से चंदन घिसवाएं तो क्या दोष है ?
मन्दिरों में पुजारी की व्यवस्था है तो फिर हम उस व्यवस्था का लाभ क्यों नहीं उठाएं? आज के व्यस्त समय में विधिपूर्वक क्रिया करें तो आधा दिन मन्दिर में ही बीत जाएगा जो कि संभव नहीं है। ऐसे ही कई तर्क अधिकांश लोग करते हैं।
यदि इस सम्बन्ध में गहराई से चिंतन करें तो आज हम हर कार्य के लिए पूरा समय देते है परन्तु जहाँ धर्मकार्यों की बात आती है हमारे Excuse और बहाने शुरू हो जाते हैं। धर्मकार्य करने के लिए सबको shortcut चाहिए।
जो लोग कर्मभीरू हैं वह यह जानते हैं कि सांसारिक कार्यों में किया गया शक्ति का उपयोग मात्र कर्मबंधन का कारण है, वहीं परमात्म भक्ति हेतु स्वशक्ति का उपयोग करने से वीर्यान्तराय का क्षय होता है ।
मन्दिर में पुजारी की व्यवस्था बालकों एवं अवस्था वाले लोगों की अपेक्षा की जाती है। इस व्यवस्था का सार्वजनिक उपयोग तो मात्र प्रमाद एवं अविधि को बढ़ावा दे रहा है। सामर्थ्य होने पर भी मन्दिर में दी गई सुविधाओं का उपयोग करना दोषकारी होता है। अतः श्रावकों को स्वयं इस विषय में विवेक रखना चाहिए।
चंदन पूजा करने हेतु सोने अथवा चाँदी की कटोरी का उपयोग करना चाहिए क्योंकि द्रव्य और उपकरण जितने उत्तम होते हैं उतने ही उत्कृष्ट भावों का निर्माण होता है। यदि मन्दिर के उपकरणों का प्रयोग करते हैं तो उन्हें भी अच्छे से धोकर और पोंछकर रखना चाहिए ।
जहाँ मन्दिरों में चंदन घिसकर रखा जाता है वहाँ चंदन रखने हेतु चाँदी, तांबा आदि का ढक्कन युक्त प्याला उपयोग में लेना चाहिए ।