Book Title: Puja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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जिनपूजा की प्रामाणिकता ऐतिहासिक एवं शास्त्रीय संदर्भों में ...331
72. विधिसंग्रह, पृ. 41
73. प्रकरण समुच्चयः, पृ. 128
74. घर - जिणहर - जिणपूया, वावारच्चायओ निसीहितिगं ।
पुप्फक्खवत्थुइहिं, तिविहा पूया मुणेयव्वा ॥
प्रवचनसारोद्धार, गा. 69
विचिपवित्रवस्त्रादिभिः
75. अत्र च गाथायां पुष्पादीन्युपलक्षणाभूतान्येव श्री भगवतः पूजाविधि प्रतिपादितानि ततो निसप्तमरत्नसुवर्णमुक्ताभरणादिभिरलंकरणं, परिपाधनं पुरतश्च सिद्धांतकशालित मांगलिकालेखनं प्रवरबलि - जल- मंगल दीप-दधि-घृत-प्रभृतिपदार्थतण्डुलादिभिरष्ट ढोकनं भगवतश्च भालतले गोरोचना मृगमदादिभिस्ति लककरणं, तत आरात्रिका द्युत्तारणम् ।
प्रवचनसारोद्धार टीका, आ. सिद्धसेनसूरि
76. शुचिः पुष्पामिषस्तोत्रै, देवमभ्यर्च्य वेश्मनि । प्रत्याखानं यथाशक्ति., कृत्वा देवगृहं वजेत् ॥ प्रविश्यविधिना तत्र, त्रिः प्रदक्षिणायेज्जिनम् पुष्पादिभिस्तमभ्यर्च्य, स्त्वनैरूत्तमैः स्तुयात् ॥
77. कुमारपाल प्रतिबोध, पृ. 129-130 78. वही, पृ. 119
79. वही, पृ. 175
80. श्राद्धदिनकृत्य, गा. 24, 63
81. चैत्यवंदन भाष्य, गा. 10
82. कुसुमक्ख फल - जल- धूप-दीव-नेविज्ज- वास
पूजा
जिणेसराणं,
सा
अट्ठविहा
83. पूजा प्रकाश, 23-26, 29
84. विधिमार्गप्रपा (देवपूजा विधि), पृ. 121
85. विचारसार प्रकरण, 43
योगशास्त्र, 123-124
86. श्राद्धविधि प्रकरण, पृ. 131 132 87. कुसुमाइएहिं घरचेइयाइं अच्चेइ संसाए ।
निम्माया ।
विणिद्दिट्ठा ॥
अनंतनाथ चरित्र, गा. 8
कुमारपालप्रबन्ध, गा. 1

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