________________
सात क्षेत्र विषयक विविध पक्षों का समीक्षात्मक अनुशीलन ...347
से हानि अधिक एवं लाभ कम होता है। इसी के साथ सरकार की आर्थिक नीतियों को देखते हुए सम्पूर्ण धार्मिक सम्पत्ति सरकारी कब्जे में जाए उससे पूर्व उसका उपयोग सही क्षेत्र में कर देना चाहिए।
इसी प्रकार अधिक राशि देखकर किसी की नियत बिगड़े या पैसे की हेराफेरी हो उससे पूर्व ही उसका सदुपयोग वर्तमान परिस्थितियों में अधिक औचित्यपूर्ण एवं श्रेयस्कर है।
शंका- देवद्रव्य की राशि से उपाश्रय आदि आराधना स्थलों का निर्माण करना चाहिए या नहीं ?
समाधान— उपाश्रय आदि आराधना स्थलों को बनाने हेतु देवद्रव्य की राशि का उपयोग नहीं किया जा सकता। क्योंकि उपाश्रय श्रावकों के लिए उपयोगी स्थान है जबकि देवद्रव्य का उपयोग परमात्मा के कार्यों में ही हो सकता है। यदि कहीं पर देवद्रव्य की राशि से उपाश्रय बना हो तो वहाँ मात्र जिन भक्ति के कार्य हो सकते हैं। अन्य कार्यों में प्रयोग करने से पूर्व उपाश्रय निर्माण में लगी राशि को ब्याज सहित चुकाना जरूरी है। साधारण द्रव्य से उपाश्रय का निर्माण कर सकते हैं।
शंका- ज्ञान द्रव्य किसे कहते हैं ?
समाधान- जिनवाणी की सुरक्षा हेतु श्रावकों के द्वारा जिस द्रव्य का सदुपयोग किया जाता है उसे ज्ञान द्रव्य कहते हैं। पूर्व काल में आगम शास्त्र कंठस्थ होते थे। सूत्र पाठों की श्रवण परम्परा ही चलती थी। परन्तु क्षणैः-क्षणैः काल प्रभाव से बुद्धि क्षीण होने लगी एवं आगम पाठ विस्मृत होने लगे। तब उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें लिपिबद्ध किया जाने लगा। इस कार्य हेतु जितना भी द्रव्य एकत्रित कर उपयोग किया जाता है उसे ज्ञान द्रव्य कहते हैं। जिन आगम क्षेत्र सम्बन्धी जो भी द्रव्य है वह ज्ञान द्रव्य में ही समाविष्ट किया जाता है।
शंका- ज्ञान द्रव्य में कौन-कौन सी राशि का समावेश होता है ?
समाधान- ज्ञान खाते की राशि, ज्ञान पूजा की राशि, कल्पसूत्र पूजन, कल्पसूत्र बहराने की बोली, अन्य कोई भी आगम शास्त्र या चरित्र ग्रंथ सम्बन्धी चढ़ावे, पाँच ज्ञान पूजा, ज्ञान की अष्टप्रकारी पूजा, प्रतिक्रमण सूत्र, दीक्षा के अवसर पर ज्ञानपोथी का चढ़ावा एवं अन्य ज्ञान या पुस्तक निमित्त किसी भी प्रकार का आया हुआ द्रव्य ज्ञान द्रव्य के अन्तर्गत समाविष्ट होता है।