Book Title: Puja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 386
________________ 320... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... "लंकायां, पाताल लंकायां श्री शांतिनाथः' अर्थात लंका में और पाताल लंका में श्री शांतिनाथ महातीर्थ है। ___कोचीन मुल्क की सीमा पर बहावल पहाड़ की घाटी में बाहुबली की योग मुद्रा में खड़ी प्रतिमा है। बाहुबली का राज इसी क्षेत्र में था जहाँ की राजधानी तक्षशिला थी। इसी मुल्क के बीदमदेश (होबी नगर) में अनेक सिद्ध प्रतिमाएँ प्राप्त हुई है। चीन के गिरगम देश ढांकुल नगर में तीर्थंकर के च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान इन चार कल्याणकों की गृहस्थ, छद्मस्थ, साध और तीर्थंकर इन चार रूप में पूजा की जाती है। चीन के ही पैकिंग शहर में अनेक शिखरबद्ध जिनमंदिर हैं। ये सब कीमती रत्नों से जड़े हुए हैं तथा इनमें कायोत्सर्ग एवं पद्मासन मुद्रा में दीक्षा कल्याणक की प्रतिमाएँ हैं। मन्दिरों में सोने के चित्र बने हुए हैं। छत्र रत्न जड़ित है। मन्दिर में कल्पवृक्ष एवं वनों की रचना भी मिलती है। तातार देश के सागर नगर में साढ़े तीन गज ऊँची और डेढ़ गज चौड़ी जिन प्रतिमाएँ हैं। यह सभी प्रतिमाएँ चौथे आरे के अन्त की है। इन प्रतिमाओं के दोनों हाथ उठे हुए हैं। यहाँ के जैनों का मानना है कि यह तीर्थंकरों की उपदेश अवस्था की प्रतीक है। छोटे तिब्बत के मुंगार देश में बजरंगल नगर में 2000 जैन मन्दिर हैं। इन मन्दिरों में कहीं तीन, कहीं पाँच और कहीं-कहीं सात गुम्बज भी हैं। एक-एक मन्दिर पर लगभग सौ-सौ कलश हैं। इन मन्दिरों में मरुदेवी माता की मूर्तियाँ भी विराजमान है। तीर्थंकर की माता द्वारा देखे गए स्वप्नों का चित्रण इनकी दिवारों पर किया गया है। यहाँ पर मुख्य रूप से च्यवन कल्याणक की पूजा की जाती है। तिब्बत देश के एकल नगर में बीस हजार जैन मन्दिर हैं। यहाँ पर ज्येष्ठ कृष्णा तेरस और चौदस के दिन मेला लगता है। वहाँ 150 गज ऊँचा संगमरमर पर सुनहरे काम वाले पत्थरों का मेरूपर्वत है। यहाँ के मन्दिरों में परमात्मा के जन्म के प्रतीक रूप छोटी-छोटी मुट्ठी बंधी हुई मूर्तियाँ है। जन्म कल्याणक मनाते समय एक व्यक्ति इन्द्र का रूप धारण कर परमात्मा की प्रतिमा को मेरूपर्वत पर ले जाता है तथा अन्य नगरवासी 1008 कलशों द्वारा प्रतिमा का न्हवण करते हैं। तदनन्तर परमात्मा की पाँच कोस लम्बी रथ यात्रा निकाली जाती

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