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प्रतिध्वनि
नास्तिक आस्तिक की गद्दी पर पहुँच गया और आस्तिक नास्तिक की दिशा में चल पड़ा। क्या सचमुच मानव की मानसिक पृथ्वी गोल नहीं है ? आज के तथाकथित धार्मिकों की भी यही स्थिति नहीं है ?
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