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रावण की सीख
जब रणश्रेत्र में पड़ा रावण अंतिम सांसें गिन रहा था, तब श्री राम ने लक्ष्मण को संकेत किया-"लक्ष्मण ! रावण जैसा ज्ञानी और राजनीतिज्ञ जा रहा है, उससे बहुत कुछ सीखने जैसा है, जाओ, उसके अनुभव पूछो !"
रावण जैसे आततायी और दुष्ट से शिक्षा लेने की बात, लक्ष्मण को असह्य थी, पर श्री राम की आज्ञा का अनादर भी कैसे करते । अनमने भाव से वे रावण के निकट गये । सिरहाने की ओर खड़े होकर उन्होंने रावण से अपने अनुभवों की सीख सुनाने को कहा।
भूमिपर पड़े सिसकते रावण ने लक्ष्मण की ओर देखा भी नहीं । क्षुब्ध हो, लक्ष्मण लौट आये। लक्ष्मण को निराश लोटे देखकर श्री राम ने कहा-'अनुज ! लगता है तुम ने लंकेश के सिरहाने खड़े होकर सीख लेना चाहा है। बंधु ! सीख तो नम्र और विनयी बनकर ही प्राप्त की
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