Book Title: Pratidhwani
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 223
________________ चरित्र वैभव तथागत बुद्ध ने कहा है-नारो का नैसर्गिक सौन्दर्य है-शील ! इस सौन्दर्य को दरिद्रता मलिन नहीं कर सकती, बुढ़ापा चुरा नहीं सकता और दुष्टता इसे दूषित नहीं कर सकती। भारतीय नारी के शील की गाथा विश्व साहित्य के करण-करण में उसी प्रकार रमी हुई है, जैसे ईख के पोर-पोर में मधुर रस। कन्नड़ के महाकवि वल्लत्तोल्ल ने बादशाह हुमायूं के युग की एक भारतीय ललना के शील सौरभ के साथ हुमायूं के चरित्र वैभव की एक लघु कथा लिखी है मुगल सम्राट हुमायूं एक बार दिल्ली के राजपथ से गुजर रहा था कि किसी छोटे से घर की गोख में बैठी एक सुन्दरी पर बादशाह की दृष्टि पहुँच गई । सुन्दरी के सहज, स्निग्ध सौन्दर्य पर बादशाह मुग्ध हुआ कुछ देर एकटक २०४ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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