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७२ दृढ़ संकल्प
मन में ध्येय के प्रति दृढसंकल्प हो, और साहस के साथ जुटे रहने का जीवट हो, तो फिर फल की प्रत्याशा किए बिना जो अपने कार्य में जुटा रहता है, उसके लिए क्या असंभव है ? दुष्प्राय को प्राप्त करना असंभव को संभव बनाना, फिर कोई बड़ी बात नहीं होती ।
तथागत बुद्ध के जीवन से सम्बंधित बर्मो - साहित्य में एक धर्मकथा प्रसिद्ध है । एकबार तथागत बोधि की खोज में भटक भटक कर हिम्मत हार चुके थे। वापस कपिलवस्तु के राजमहल में लौटने के संकल्प ने उनके चरण उस ओर बढ़ा दिये थे । चलते-चलते वे एक झील किनारे विश्राम के लिए कुछ क्षण रुके। वहां एक गिलहरी पर सिद्धार्थ की दृष्टि पड़ी। वह बार-बार पानी के पास जाती, अपनी पूंछ उसमें डुबाती और फिर आकर रेत पर उसे भटक देती ।
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