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प्रतिध्वनि
जा सकती है । कोई चाहे जितना महान हो, लेने के लिए तो झुकना ही पड़ता है, देखते हो, समुद्र भी नदी नालों से पानी लेने के लिए उनसे नीचे ही रहता है ।"
लक्ष्मण अपनी भूल समझ गए, अब वे विद्यार्थी की भांति रावण के पास गये और पाँवों की ओर खड़े होकर विनम्र स्वर में बोले - " लंकेश ! मैं आपसे कुछ सीखने आया हूँ। अपने जीवन के बहुमूल्य अनुभवों से कुछ शिक्षा दीजिए ।"
वेदना से कराहते हुए रावण के मुख पर एक मधुरस्मित रेखा खिंच गई ! फिर गंभीर होकर बोला - " मैं अब क्या सीख दें, अपने ज्ञान एवं अनुभवों से स्वयं को भी सुखी नहीं बना सका, तो दूसरों को क्या कहूँ । सीता अपहरण की एक ही भूल ने मेरे समस्त गौरव को मिट्टी में मिला दिया और जीवन के समस्त सुकृत्यों पर पानी फेर दिया । फिर भी मुझे पूछते हो, तो लो, सौमित्र ! ये तीन बातें हृदय पटल पर अंकित करलो -
१. शुभ कार्य करने में पल भर का भी विलम्ब नहीं करना चाहिए |
२. क्रोध और अहंकार के वश होकर कोई कार्य नहीं करना चाहिए ।
३. दुष्कृत्य करने से पूर्व भी गुरिजनों की अनुमति लेना चाहिए ।
मुझ से जीवन में ये ही तीन भूलें हुई। शुभ कार्य कल
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