Book Title: Pratidhwani
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 209
________________ प्रतिध्वनि यदि हम ही अपनी बहू-बेटियों की इज्जत नहीं करेगें तो लुच्चे-लफंगों को किस मुंह से दण्ड देंगे ?" राजा जयसिंह के उच्च नैतिक आदर्श के समक्ष न केवल मंत्री ही विनत हुआ, पर इतिहास आज भी उसके आदर्शों से शिक्षा दे रहा है। Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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