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आनन्द का मूल
" संसार में सब से अधिक सुखी व आनन्दित कौन है ? " - एक विद्वद्सभा में प्रश्न उठा, और हवा में तैरने लगा ।
किसी ने कहा- संतोषी !
किसी ने कहा- सत्यवादी ! और किसी ने भक्त, निस्पृह संत और किसी ने दयालु बादशाह को सबसे अधिक सुखी बताया, पर विद्वानों के तर्क तूणीरों ने इन सब समाधानों के अन्तरतम को भेद कर रख दिया । प्रश्न असमाहित ही खड़ा रहा - "सब से बड़ा सुखी कौन है ?"
एक वृद्ध ने कहा- मैंने एक दिन एक नदी के तट पर मखमली घास पर एक अबोध शिशु को खेलते देखा, हवा के हल्के-हल्के हिलोरों से वृक्ष का कोई छोटा-सा पत्ता गिरकर उसके पास आ जाता तो शिशु उसे देख कर
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