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आग्रह
१५१ कुछ व्यक्ति चौपाल में बैठे गपशप कर रहे थे । एक जाट ने शर्त लगाई "कि यदि कोई व्यक्ति पचास और पचास का जोड़ सौ सिद्ध करदे तो मैं अपनी भैस उसे दे दूंगा।"
जाट ने घर पहुँचकर जाटनी के सामने अपनी शर्त बताते हुए मूंछों पर बल लगाया, तो जाटनी ने घबड़ा कर कहा-कैसी पागलपन की बात करते हो, पचास और पचास तो सौ होते ही हैं । भैंस देकर क्या मेरे बच्चों को भूखों मारोगे ?" ___जाट ने हंसते हुए कहा-घबराओ मत ! पचास और पचास सौ होता है यह तो मैं भी जानता हूं, किंतु मैं किसी के सामने इसे स्वीकार करूगा तभी तो? मैं 'नाना' ही कहता रहा तो शर्त हार कैसे जाऊंगा।"
वास्तव में आग्रही व्यक्ति जब सत्य को 'सत्य' समझ कर भी उसको अस्वीकार करता जाये तो उसे फिर कौन समझाए ?
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