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क्या गोरा, क्या काला
अगरबत्ती दीखने में काली है, पर उसका करण करण मधुर सुगन्ध से महकता रहता है ।
कपास का फूल - दीखने में दूध सा उजला है, पर कहीं सुगंध का एक करण भी उसमें नहीं है !
अपनी सुगंध के कारण अगरबत्ती पूजा के समय घरघर में जलाई जाती है ।
इसी प्रकार जिस व्यक्ति में गुण हैं, स्नेह एवं सद्भाव है, उसकी चमड़ी चाहे काली हो, या गोरी, वह सर्वत्र सम्मान एवं आदर प्राप्त करता है ।
ऋषि अष्टावक्र ने तो एक बार महाराज जनक के राज पंडितों को ललकार कर कहा था - " चमड़ी को देखनेवाला चमार होता है, आत्मा को देखनेवाला ज्ञानी !"
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