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पृथ्वी गोल है ?
कभी-कभी सोचता हूँ, भौगोलिक दृष्टि से पृथ्वी, गोल है या चपटी, यह आज एक विवाद का विषय है । किंतु मनुष्य की मानसिक पृथ्वी गोल है यह निविवाद सत्य है । मनुष्य के अन्तर्जगत में आज परिवर्तन की जो गति चल रही है, वह करीब-करीब उसकी मूलस्थिति को बदल चुकी है । जो धार्मिक, निस्पृहता, सत्यनिष्ठा और अध्यात्म एवं योग के पथ पर सीधे चलते थे, वे आज अधर्म, असत्य, भोग, और नास्तिकता की धुरी पर उलटे चलने लग गये हैं ।
जिन्हें अधार्मिक, भौतिकवादी, अनार्य और असभ्य माना जाता था, वे आज धर्म की अधिक कदर करते हैं, योग और अध्यात्म में रुचि ले रहे हैं सत्य, ईमानदारी और सभ्यता की दौड़ में आगे बढ रहे हैं ।
लगता है - पूरब पश्चिम को जा रहा, और पश्चिम
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