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४२ मन को मांजो
कुछ विचारक कहते हैं-"मन पापी है, दुष्ट है, इसको मार डालो !” किंतु 'पापी मन को मार डालनामन का उपचार नहीं है।' जैनदर्शन कहता है-मन को मारो नहीं, सूधारो ! मैले वस्त्र को फाड़ कर मत फेंक दो, उसे धोकर उजला बनाओ। ज्ञातासूत्र (११५) में भगवान महावीर ने कहा है-"जैसे रक्त से सना वस्त्र पानी से धोने पर उजला हो जाता है, वैसे ही मन को (आत्मा को) शुभ भावनाओं के स्वच्छ जल से प्रतिपल धोते रहने से वह उज्ज्वल हो जाता है।"
इसीविचार को प्रकारान्तर से बौद्ध ग्रन्थ अभिधम्म पिटक में यों कहा है
अनुपुत्वेन मेधावी थोक-थोकं खणे-खणे। कम्मारो रजतस्सेव निद्धने मलमत्तनो॥
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