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जैसी दृष्टि : वैसी सृष्टि
एक प्रसिद्ध सूक्ति हैअंधकारो अपस्सतं
(सुत्त निपात ३।३८।४०) अंधो के लिए चारों ओर अंधकार ही अंधकार है।
कहावत है-सावन के अंधे को सब दुनिया हरी-हरी दीखती है, और पतझड़ के अंधे को दुनियां वीरान लगती है।
जिसने आँखों पर काला चश्मा लगाया है, उसे उज्ज्वल जलधारा भी काली मटमैली दिखाई देगी और जिसकी नजर साफ है, वह हर वस्तु को उसके असली रूप में देख सकता है।
जिसके मन में ईर्ष्या, द्वेष एवं घृणा भरी है, उसे संसार में कहीं प्रेम, सद्भाव और सद्गुण दिखाई नहीं दे सकता । और जिसका अन्तःकरण स्नेह, सद्भाव एवं
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