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__ श्रीकृष्ण ने दुर्योधन की ओर प्रश्न भरी नजर उठाई। दुर्योधन ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा-"महाराज ! सज्जनता तो जैसे लुप्त हो गई है। जिसे भी देखता हूँ, ऊपर से सज्जनता और भलाई का आवरण ओढ़े हजारों लोग दुर्जन की आत्मा लिए घूमते हैं । फिर किसका नाम सज्जन में लिखू और किसका दुर्जन में।" ___ दो विपरीत अनुभवों का मूल कारण था, दो विपरीत दृष्टियां । धर्मराज को जिस संसार में कोई दुर्जन नहीं मिला, उसी संसार में दुर्योधन की दृष्टि में कोई सज्जन नहीं था।
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