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प्रतिध्वनि
सचमुच यह संसार संदेह और अविश्वास से भरा है। हर बहन-भाई और पति पत्नी का स्नेह संदेह की ठेस से काँच की बोतल की तरह कब टूट जाये कोई विश्वास नहीं। जिस बहन के लिए उसने अपनी गांठ के सौ रुपये लगाए, वह बहन भी सोचती है-उसने अवश्य सोने में खोट मिलाई होगी, आखिर सुनार जो है।
उसी दिन अखा घर छोड़ कर जंगल की ओर चला मया । संसार की झूठी प्रीति तोड़कर उसने प्रभु से सच्ची प्रीति लगायी।
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