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मृत्यु नहीं चाहिए
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'तुमने मुझे अभी पुकारा था' - पीछे से आवाज आई । उसका गला दबता चला गया, उन हाथों में जैसे बर्फ थी, बुड्ढा - कांपने लग गया, और भय के मारे पसीने की धाराएं छूट गई। "नहीं ! नहीं ! - मैंने तुमको नहीं पुकारा, तुम कौन हो ?"
तभी एक भयानक आकृति उसके सामने आ गयी ! "मैं मृत्यु हूँ, अभी तुमने परमात्मा से प्रार्थना की, इसलिए मुझे तुम्हें उठाने के लिए भेजा गया है ।"
बुड्ढे ने होश संभाला, और हाथ जोड़ कर बोला'ओह ! भूल गया ! मुझे नहीं उठाना है, कृपा कर इस भारी को मेरे सिर पर उठवा दीजिए.. इसीलिए पुकारा था.. अब कभी नहीं पुकारूंगा.. और पुकारूं तो कृपया आने का कष्ट मत करना..!"
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