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प्रतिध्वनि
गाँव के सैकड़ों स्त्री-पुरुष दार्शनिक संत की अंतिम सीख सुनने को एकत्र हुए। ____ अफलातू ने कहा-देखो मेरे आज तक के उपदेशों का सार है ये चार बातें :
१. यदि कोई तुम्हारे साथ कभी बुरा बर्ताव करे तो _तुरन्त भुला देना चाहिए ! इससे तुम क्षमा
करना सीखोगे ! २. यदि तुमने किसी की भलाई की हो, उपकार
किया हो, तो उसे भी भुला देना चाहिए। इससे
जीवन में उदारता व सरलता आयेगी। ३. जिसने भी जन्म लिया है, उसे एक दिन मरना
भी होगा, इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए। इससे तुम जीवन में सदा जागरूक
रहोगे। ४. तुम्हारे लिए जो कुछ अच्छा है, और बुरा है,
उसको करने वाले तुम स्वयं ही हो, अपना भाग्य अपने हाथ में है, इस बात को सदा याद रखना चाहिए। बस यही सब सफलताओं का मूल मंत्र है। लोगों ने उपदेश को सर आँखों पर चढ़ाया, और कहते हैं उसके बाद अफलातू ने दोनों हाथ ऊँचे उठाकर विदा मांगी, वह सचमुच विदा होगया !
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