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स्मृति और विस्मृति
आज कुछ लोगों को स्मृति का रोग है, कुछ को विस्मृति का देखता हूं, जो बातें याद नहीं रखनी चाहिए जो स्मृति का कूड़ा करकट है, भार है, उसे तो लोग स्मृति पर ढो रहे हैं, और जो वास्तव में ही स्मृति को सचेतन रखने वाली बातें हैं, जिनमें जीवन का आदर्श भरा है उन्हें भुलाये जा रहे हैं !
आप सोचते होंगे - " क्या याद रखना चाहिए, क्या नहीं रखना चाहिए इसका कोई शास्त्र है ?
'है !' मेरी भाषा में ही नहीं, हजारों वर्ष पुरानी भाषा में भी हैं । सुनिए यह प्रसंग |
ग्रीस का महान् तत्त्ववेत्ता अफलातू जीवन की अंतिम शैय्या पर सोया था । तब कुछ लोग उनके पास आये और बोले - " जाते-जाते हमें कुछ बताते जाइए !"
अफलातू ने कहा- "गाँव के सब लोगों को जमा करो, फिर मैं अपनी बात कहूंगा ।"
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