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सकता है ? दूसरे के दुःख
प्रतिध्वनि
को अपने दुःख से समझो।"
पर कहां समझा है अब तक उसने ? अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए - राजा अपनी प्रजा को मौत के घाट उतार सकता है, माता-पिता संतान को बेच सकते हैं, और न्याय एवं नियम की पोथियां भी बदली जा सकती हैं । देखिए एक प्राचीन उदाहरण
एक बार एक सम्राट को कोई भयंकर रोग हुआ 1 चिकित्सा करते-करते वह थक गया, पर रोग नहीं मिटा | किसी हकीम ने सम्राट को बताया कि "अमुक खास लक्षण वाले आदमी का जिगर (यकृत) मिल जाये तो आपका रोग दूर हो सकता है ।"
उस आदमी की खोज शुरू हुई। देश के चप्पे-चप्पे को छाना गया । आखिर एक गाँव में एक गरीब लड़का मिला जिसमें ये सब लक्षण थे । सम्राट ने उस लड़के के माता-पिता को बुलाया और कहा - "इस लड़के के बराबर सोना तोलकर ले लो, लड़का हमें दे दो ।" लोभी मातापिता ने सोने के साथ लड़के का सौदा कर लिया ।
इसके बाद राज्य के न्यायाधीश ने भी राज सभा में अपना निर्णय दिया कि एक सम्राट् की जीवन रक्षा के लिए किसी एक व्यक्ति को मार डालना कोई अपराध नहीं है, न्याय की दृष्टि से भी यह उचित ही है ।
अब उस लड़के को वध के लिए सम्राट के सामने
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