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प्रतिव्वनि
एक बार ईरान के एक बादशाह ने अपने राज्य के सबसे प्रसिद्ध हकीम को हजरत मुहम्मद मुस्तफा की सेवा में भेजा, इसलिए कि वह हजरत की समय पर सेवा करें, और उनकी प्रजा को स्वस्थ व नोरोग रखने में मदद दें।
___कई बरस गुजर गये । हकीम अरब में रहा, पर वहां पड़े-पड़े उस पर सुस्ती छाने लगी, आज तक कोई उसके पास दवा लेने तो दूर, नाड़ी दिखा ने भी नहीं आया। किसी ने उससे दवा के लिए पूछा तक नहीं। हकीम परेशान था, वह इतना होशियार, पर यहाँ उसकी होशियारी की किसी ने कोमत भी नहीं की। आखिर उससे रहा नहीं गया, और बादशाह के सामने उपस्थित हआ'हजरत ! मुझे ईरान के शाह ने आपकी सेवा में इसलिए भेजा था कि समय पर मैं आप लोगों की कुछ सेवा कर अपनी विद्या का चमत्कार दिखा सकू। पर खेद है कि मुझे बीस वर्ष बीत गए, पर कोई मेरे पास नहीं फटका, किसी ने मुझसे कोई दवा दारू की सलाह तक नहीं ली ! आखिर मैं बैठा-बैठा क्या करूँ ?'
हजरत ने मुस्कराकर कहा-'हकीम साहब ! आपका कहना ठीक है, मगर यहाँ के लोगों में दो खराब आदतें हैं। एक तो वे जब तक कड़कड़ाती भूख से बेचैन नहीं हो जाते तब तक कुछ खाते नहीं, और दूसरे खाने का बैठते हैं तो आधे पेट हो उठ जाते हैं, जब पेट काफी खाली रहता है तो खाने से अपना हाथ खींच लेते हैं- इन
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