________________
११०
क्या परिभाषा है ? जितं जगत्केन ?
आचार्य ने उत्तर दिया- मनोहि येन ? जिसने मन को जीत लिया उसने जगत को जीत लिया ।
प्रतिध्वनि
महर्षि वशिष्ठ के शब्दों मेंअहमर्थो जगद् बीजम्
- योग वा० ४।३६ अहंकार ही जगत है । अहंकार, क्रोध ( कषाय) को जीतना ही परम विजय है- एस सो परमो जओ - बस, यही परम जय है ।
X
Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org